Supreme Court Accepted the Problems of Pending Cases

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समय सीमा तय करने से बचें अदालतें सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ‘संवैधानिक अदालत को मामले के निपटारे की समय सीमा तय नहीं करनी चाहिए, जब तक कि स्थिति असाधारण न हो।’ शीर्ष अदालत ने देश के सभी अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित होने के मद्देनजर यह फैसला दिया है।

जस्टिस अभय एस. ओका और पंकज मिथल की पीठ ने एक मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट को समय सीमा में जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी करने का आदेश देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की है। पीठ ने कहा कि देश की सभी अदालतों में बड़ी संख्या में मुकदमे लंबित होने की समस्या से जूझ रही हैं। पीठ ने कहा कि चूंकि देशभर के हाईकोर्ट के समक्ष बड़ी संख्या में जमानत याचिका लंबित हैं, इसलिए ऐसे मामलों के निपटारे में कुछ देरी होना लाजमी है। शीर्ष अदालत ने नियमित रूप से किसी भी मामले को एक निश्चित समय-सीमा के भीतर निपटारा करने का आदेश देने के प्रति आगाह करते हुए संवैधानिक अदालत को किसी भी अदालत के समक्ष मामले के निपटान के लिए समय सीमा तय करने से तब तक बचना चाहिए, जब तक कि स्थिति असाधारण न हो।

शीर्ष अदालत ने शेख उज्मा हुसैन की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि किसी मामले में असाधारण स्थिति उत्पन्न होने के चलते तात्कालिकता है, तो आरोपी हाईकोर्ट के समक्ष शीघ्र सुनवाई की मांग को लेकर याचिका दाखिल कर सकता है। याचिकाकर्ता ने शीर्ष अदालत को बताया था कि जून 2023 से उसकी जमानत याचिका हाईकोर्ट में लंबित है।

याचिका में शीर्ष अदालत ने हाईकोर्ट को समय सीमा में जमानत याचिका पर सुनवाई पूरी करने का निर्देश देने की मांग की थी।

This is apex court and decide many matters. Country’s brain are there. Is there any solutions may be suggested by these brains!

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