Rights of Arrested Person

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भारतीय संविधान सहित आपरिधिक कानून मे गिरफ्तार आपरोपियों के भी कुछ अधिकार तय किए गए है। अधिकारों की जानकारी नहीं होने से आपरिधिक मामलों मे गिरफ्तार आरोपी पुलिस की प्रताडना के शिकार होते है। जाने क्या है गिरफ्तार आरोपियों के अधिकार

कानून में किसी अपराध के आरोप में गिरफ्तार व्यक्ति को कई अधिकार मिलें हैं। लोगों को इसके प्रति जागरूक होना चाहिए।

वकील से सलाह लेने का अधिकार

सीआरपीसी की धारा 41डी के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस अधिकारी द्वारा पूछताछ के दौरान अपने वकील से सलाह लेने का अधिकार दिया गया है। जबकि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के साथ-साथ सीआरपीसी की धारा 303 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को अपनी पसंद के वकील के जरिये अपना बचाव करने का अधिकार है।

गिरफ्तार व्यक्ति को चुप रहने का अधिकार है।

उसे अपने ही खिलाफ गवाही या किसी तरह का बयान देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।

कानूनी मदद पाने का अधिकार है।

सी आर पी सी की धारा 304 के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को कानूनी मदद पाने का अधिकार है।

सरकार के खर्च पर वह अपनी पसंद का वकील मांग सकता है।

गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार

आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 50 के तहत बगैर वारंट के किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करते समय पुलिस को गिरफ्तारी का कारण बताना होगा। संविधान के अनुच्छेद 22(1) में भी यह प्रावधान है। गिरफ्तारी के 24 घंटे के भीतर पुलिस या जांच एजेंसी द्वारा आरोपी को सभी दस्तावेजों के साथ संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना अनिवार्य है।

पुलिस की जिम्मेदारी

पुलिस अधिकारी की यह जिम्मेदारी है कि सीआरपीसी की धारा-50ए के तहत किसी को गिरफ्तार किए जाने के बाद इसकी सूचना आरोपी के परिवार, मित्र, रिश्तेदार या उसके बताए गए वकील को दे।

इसलिए पड़ी जरूरत

इनके पीछे मकसद पुलिस सहित कानून के तमाम प्रवर्तन एजेंसियों के पास मौजूद वैधानिक शक्तियों के दुरुपयोग से लोगों को
बचाना है।

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