Non Reply of RTI: Penalty of Rs. 50000/-

Indian Law RTI

आरटीआई का 2 साल में जवाब नहीं, 50 हजार जुर्माना

भास्कर न्यूज | फरीदाबाद

सूचना अधिकार अधिनियम (आरटीआई) के तहत दो साल पहले मांगी गई जानकारी का जवाब न देना नगर निगम के एक अधिकारी को भारी पड़ गया। दो अलग अलग मामलों की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त ने नगर निगम के सहायक अभियंता बिल्डिंग ओपी मोर पर 50 हजार रुपए का जुर्माना ठोका है। साथ ही निगम कमिश्नर को पत्र लिख उक्त अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के भी आदेश दिए हैं। आयाेग ने यह आदेश नगर निगम के पूर्व सलाहकार केएल गेरा की ओर से डाली गई आरटीआई पर सुनवाई के बाद दिया है।
सेक्टर-15ए निवासी एवं नगर निगम के पूर्व सलाहकार केएल गेरा ने 11 जून 2016 को सहायक इंजीनियर (बिल्डिंग) ओपी मोर से जनसूचना अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी कि शहर में कहां-कहां सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे व अतिक्रमण हैं। साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों में कहां-कहां और कितने रेस्टोरेंट अथवा होटल चल रहे हैं। गेरा का आरोप है कि उक्त अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। फ़र्स्ट अपील में आदेश होने के बाद भी जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। गेरा का कहना है कि बार-बार कहने के बाद भी अधिकारी ने जवाब देना उचित नहीं समझा। 19 जनवरी 2018 को राज्य सूचना आयोग में सेकेंड अपील की गई। इसमें उक्त अधिकारी दो-चार बार सुनवाई के दौरान पहुंचे। इसके बाद आयोग जाना ही बंद कर दिया। 20 फरवरी 2018 को आयोग ने नोटिस जारी कर 13 अगस्त को हाजिर होने के लिए आदेश दिया। इसके बावजूद उक्त अधिकारी आयोग के सामने हाजिर नहीं हुए। न ही कोई एप्लीकेशन दी। इससे इस मामले में कड़ा रुख अख्तियार करते हुए राज्य सूचना आयुक्त अरुण सांगवान ने दोनों मामले में लापरवाही बरतने व आयोग के आदेश का पालन न करने पर 25-25 हजार रुपए का जुर्माना ठोका है। साथ ही आयोग ने निगम कमिश्नर काे पत्र लिखकर 45 दिन में सहायक अभियंता बिल्डिंग ओपी मोर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का भी आदेश दिया है।
राज्य सूचना आयुक्त ने कमिश्नर को दिया आदेश 45 दिन में लापरवाह अधिकारी के खिलाफ की जाए अनुशासनात्मक कार्रवाई
आयोग ने अधिकारी के खिलाफ की यह टिप्पणी
राज्य सूचना आयुक्त अरुण सांगवान ने अपने ऑर्डर में कहा है कि वर्ष 2016 में मांगी गई सूचना का जवाब न देना गंभीर लापरवाही है। उक्त अधिकारी जनसूचना अधिकार अधिनियम को कुछ नहीं समझता है। ऐसे अधिकारी एसपीआईअो बनने के काबिल नहीं हैं। गेरा ने इस तरह के मामलों में सूचना न देने वाले अफसरों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कराने की भी मांग की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *