Godhara Kand

Courts Indian Law

गोधरा कांड में दो को उम्रकैद, 3 बरी

2015-16 में छह आरोपियों को किया गया था अरेस्ट, एक की हार्ट अटैक से हो चुकी है मौत

भास्कर न्यूज| अहमदाबाद

एसआईटी कोर्ट ने वर्ष 2002 में हुए गोधरा कांड मामले में पांच में से दो आरोपियों को दोषी करार दिया है, जबकि तीन आरोपियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया है। मामले में इमरान उर्फ शेरू भटुक और फारूक भाना को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बरी होने वालों में हुस्सैन सुलेमान मोहन, फारूक धांतिया और कासम भमेड़ी शामिल हैं। गौरतलब है कि मोहन को वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश में झाबुआ से गिरफ्तार किया गया था, जबकि भमेड़ी को दाहोद रेलवे स्टेशन से पकड़ा गया। धंतिया और भाना को गोधरा स्थित उनके घरों से अरेस्ट किया। भटुक को महाराष्ट्र में मालेगांव से जुलाई 2016 में गिरफ्तार किया गया था। एसआईटी कोर्ट में इन सभी आरोपियों पर 2015-16 से सुनवाई चल रही थी।
साबरमती एक्सप्रेस में जिंदा जलाया था 59 कारसेवकों को
गोधरा रेलवे स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन पर हमला हुआ था। ट्रेन के एस 6 कोच में आग लगा दी गई थी। इसमें अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवकों की जिंदा जलकर मौत हो गई थी। इसके बाद समूचा गुजरात हिंसा की लपटों में घिर गया था। इन दंगों में करीब एक हजार से अधिक लोग मारे गए थे। एसआईटी ने वर्ष 2008 में इस मामले की जांच शुरू की थी। 94 लोगों पर मुकदमा चलाया गया। ट्रायल कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराते हुए 63 लोगों को बरी कर दिया। दोषियों में से 11 लोगों को फांसी और 20 को उम्र कैद की सजा दी थी। इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। कोर्ट ने 11 आरोपियों की फांसी की सजा को आजीवान कारावास में बदल दिया। 2015-16 में उक्त पांचों समेत कुल छह आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। इनमें कादिर पटालिया की कार्डिएक अरेस्ट की वजह से जनवरी 2018 में मौत हो गई थी।
गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2012 को लगाई गई थी ट्रेन में आग।
हाईकोर्ट ने दिए थे दस लाख मुआवजा देने निर्देश
गुजरात हाई कोर्ट ने पिछले वर्ष (2017) में 11 लोगों की सजा को घटाते हुए मृत्यु दंड से उम्र कैद कर दिया। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को इस बात के भी निर्देश दिए कि पीड़ितों के परिजन को 10 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिया जाए।

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