शहीद भगत सिंह निर्दोष थे; लाहौर हाईकोर्ट में 5 सितंबर को सुनवाई |
भास्कर न्यूज |अमृतसर |
बर्तानवी सरकार द्वारा शहीद भगत सिंह, राज गुरु तथा सुखदेव को फांसी देने में इस्तेमाल गैर संवैधानिक हथकंडे और उन पर लगाए गए आरोपों को गलत साबित करने के मामले की सुनवाई लाहौर हाईकोर्ट में 5 सितंबर को है। सरहद पार यह लड़ाई भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के प्रधान वकील इम्तियाज रसीद कुरैशी लड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ भारतीय वकील मोमिन मलिक ने इस सारे प्रकरण के तथ्यों को जुटा कर किताब का रूप दिया है, जिसे जल्द ही सार्वजनिक किया जाना है। इम्तियाज कुरैशी शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फांसी के मामले की लड़ाई लंबे समय से लड़ रहे हैं। वह अदालत के जरिए यह साबित करना चाहते हैं कि बर्तानवी हुकूमत ने ज्यूडिशियल सिस्टम की आड़ लेकर गैर संवैधानिक काम किया था। भगत सिंह को पाकिस्तान के सर्वोच्च सम्मान ‘निशान-ए-हैदर’ दिलाने की कोशिश में लगे कुरैशी ने बताया कि अंग्रेजों ने सही तथ्यों को छुपाया और गलत गवाह पेश करके उक्त घटना को अंजाम दिया था। उसी की असलियत सामने लाने की कोशिश में वह लगे हैं, जिसकी सुनवाई 5 सितंबर को होनी है। उनका कहना है कि उनके यहां विरोध भी हुआ लेकिन अदालत ने उनकी बात मान ली और मामले की अपील स्वीकार कर ली थी। उन्होंने बताया कि मामले को लेकर उनके दोस्त भारतीय वकील मोमिन मलिक भी सारे दस्तावेज सामने ला रहे हैं। अंग्रेजों ने गलत गवाह पेश करके उक्त घटना को दिया अंजाम भारतीय सियासतदानों के पूर्वजों की भी खुलेगी पोल हाईकोर्ट के वकील मोमिन मलिक भगत सिंह के उक्त मामले का समग्र दस्तावेज जुटा चुके हैं। मलिक ने बताया कि सारे घटनाक्रम को लेकर वह दो किताबें लिख चुके हैं। पहली alt147ज्यूडिशियल मर्डर आॅफ भगत सिंह’ तथा दूसरी alt147भगत सिंह के गुनहगार कौन’? मलिक ने बताया कि पहली किताब में बर्तानवी हुकूमत द्वारा न्याय प्रणाली के किए गए दुरुपयोग तथा दूसरी में अंग्रेजों समेत हमारे अपने उन लोगों की इस मामले में भूमिका पर सवाल उठाया गया है। उनका कहना है कि इसमें तमाम ऐसे नाम हैं जिनके वंशज आज देश की सियासत में बैठे हैं। |