‘अनावश्यक गिरफ्तारियां धारा 41ए का उल्लंघन’सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अंधाधुंध गिरफ्तारियां औपनिवेशिक मानसिकता का संकेत हैं और यह ‘एक पुलिस राज’ होने के प्रभाव को जन्म देता है। अनावश्यक गिरफ्तारियां सीआरपीसी की धारा 41 व 41ए का उल्लंघन है। कोर्ट ने जमानत आवेदनों के निपटारे को लेकर निचली अदालतों को भी फटकार लगाई। आइए जानते हैं क्या है धारा 41ए…
● क्या है धारा 41?
सीआरपीसी की धारा 41 के तहत उन परिस्थितियों का उल्लेख किया गया है जब पुलिस अधिकारी मजिस्ट्रेट ऑर्डर या वारंट के बिना किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकता है। वहीं, 41ए के तहत मुख्यत उन बातों का जिक्र है जिनमें पुलिस अधिकारी के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने के बजाय नोटिस दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
● क्या 41ए के तहत हाजिर होने के लिए नोटिस भेजना जरूरी है?
पुलिस अधिकारी ऐसे सभी मामलों में जिनमें धारा 41 की उपधारा (1) के उपबंधों के अधीन किसी की गिरफ्तारी जरूरी नहीं है, आरोपी या संदिग्ध को अपने सामने हाजिर होने का नोटिस भेजेगा। जिसके खिलाफ उचित शिकायत दर्ज कराई गई है, जिसके खिलाफ विश्वसनीय जानकारियां मिली हैं, जिसके गंभीर अपराध करने का संदेह है उसे नोटिस भेजना होगा।
● क्या इस धारा में आरोपियों के लिए भी निर्देश हैं?
यह धारा पुलिस को यह निर्देश देने के साथ ही आरोपी को भी तीन निर्देश देती है। पहला पुलिस जिसे यह नोटिस भेजे, उस व्यक्ति का कर्तव्य होगा कि वह नोटिस में कही गई बातों का पालन करे।
दूसरा अगर व्यक्ति नोटिस के निर्देशों का पालन करता है और वह पुलिस के सामने हाजिर होता है तब पुलिस उसे संबंधित शिकायत या संदेह के मामले में गिरफ्तार नहीं करेगी। हालांकि, अगर पुलिस को लगे कि उसे गिरफ्तार करना जरूरी है तो वह लिखित में अपनी दलीलें देकर व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है। तीसरा अगर व्यक्ति नोटिस के निर्देशों का पालन नहीं करता है और पुलिस के सामने हाजिर होने से आनाकानी करता है तो पुलिस कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी करवाकर उसे गिरफ्तार कर सकती है।