11-08-2018
राज्यसभा में फिर अटका तीन तलाक बिल; अध्यादेश ला सकती है सरकार |
सरकार-विपक्ष में सहमति न बनने पर शीतकालीन सत्र तक टला बिल |
एजेंसी | नई दिल्ली 11-08-2018 |
मुस्लिमों में एक साथ तीन तलाक की प्रथा को अपराध करार देने वाला बिल राज्यसभा में फिर अटक गया। संसद के मानसून सत्र के आखिरी दिन शुक्रवार को इसे चर्चा के लिए राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सका। बिल राज्यसभा की शुक्रवार की कार्य सूची में शामिल था। लेकिन सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बनने के कारण इसे चर्चा के लिए पेश नहीं किया जाएगा। ऐसे में तीन तलाक बिल अब शीतकालीन सत्र तक के लिए टल गया। कांग्रेस नेता हुसैन दलवाई ने शुक्रवार को कहा, ‘सभी धर्मों में महिलाओं के साथ गलत व्यवहार होता है। रामचंद्र ने भी शक के कारण सीता को छोड़ दिया था। इसलिए हमें सब कुछ बदलने की जरूरत है।’ विवाद होने पर उन्होंने माफी मांग ली। कांग्रेस नेता बोले- राम ने भी तो सीता को छोड़ा था बिल पास न होने के लिए कांग्रेस जिम्मेदार: भाजपा तीन तलाक बिल राज्यसभा में पारित नहीं होने के लिए भाजपा ने कांग्रेस को जिम्मेदार बताया है। अनंत कुमार ने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा में इसका समर्थन किया, जबकि राज्यसभा में नहीं। यह पार्टी के दोहरे मानक दिखाता है। वहीं, कांग्रेस संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने कहा कि तीन तलाक बिल पर उनकी पार्टी का रुख पहले से स्पष्ट है। |
Cabinet approves provision of bail in instant talaq bill
Only Wife, Kin Can File FIR Against Man
The Cabinet approved on Thursday the provision of bail in the triple talaq bill and also allowed reconciliation proceedings, besides allowing only a wife, her blood relatives or those in the family she has married into to file a police complaint against a man.
The ‘offence’ of instant triple talaq will remain a non-bailable one when a man is arrested but he will be able to apply for bail before the triil, but only after the magistrate hears the wife. Pronouncement of talaq in one go will attract a jail term of three years for the husband.
The ‘Muslim Women (Protection of Rights on Marriage) Bill’ was cleared by Lok Sabha but hit a wall of opposition in Rajya Sabha, where many parties demanded that the provision of bail be included.
Justifying the decision to keep the offence non-bailable, law minister Ravi Shankar Prasad said, “Deterrence has to be there. There were fears of misuse and we have addressed them through these changes.” Friday is the last day of Parliament’s monsoon session. If the bill is cleared by the Upper House, it will have to go back to Lok Sabha for approval of amendments.
Prasad said 389 cases of triple talaq were reported between January 2017 and July 23, 2018. Of these, 229 cases were reported from January to August 22, 2017, when the Supreme Court struck down the provision as unconstitutional. Prasad urged Congress leader Sonia Gandhi to stand up for the dignity and justice of women and asked the party to make its stand on the bill clear.
Instant triple talaq will remain non-bailable when a man is arrested but he will be able to apply for bail before the trial
मानसून सत्र का आज आखिरी दिन, राज्यसभा में पेश हो सकता है बिल
तीन तलाक: अब पत्नी का पक्ष सुनकर आरोपी पति को जमानत दे सकेंगे मजिस्ट्रेट |
बैकफुट पर सरकार; तीन तलाक बिल में तीन महत्वपूर्ण संशोधन कैबिनेट से पास |
एजेंसी | नई दिल्ली |
मुस्लिमों में एक साथ तीन तलाक की प्रथा को गैरकानूनी बनाने के लिए तैयार बिल में गुरुवार को केंद्र ने तीन संशोधन कर दिए। कानून बनने के बाद दुरुपयोग की आशंका खत्म करने के लिए जमानत का प्रावधान जोड़ा गया है। नए प्रावधानों के तहत तीन तलाक पीड़ित महिला या उसके रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करवा सकेंगे। साथ ही पति या पत्नी चाहें तो मजिस्ट्रेट की इजाजत से केस वापस भी लिया जा सकेगा। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) बिल में तीनों संशोधनों को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दी। यह बिल लोकसभा में पारित हो चुका है, जबकि राज्यसभा में लंबित है। शुक्रवार को संसद के मानसून सत्र का आखिरी दिन है। शेष पेज 6 पर
महिला या रिश्तेदार ही दर्ज करवा सकेंगे एफआईआर
जमानत का प्रावधान जुड़ा, लेकिन अपराध गैर जमानती ही रहेगा
सरकार ने पूछा- क्या अब भी विरोध करेंगी कांग्रेस, बसपा और टीएमसी
रविशंकर प्रसाद ने पूछा कि बिल में जमानत का प्रावधान जोड़ने के बाद भी क्या कांग्रेस, बसपा और टीएमसी इसका विरोध करेंगी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम और अन्य समुदायों के लोग दहेज कानून के तहत जेल जाते हैं। घरेलू हिंसा कानून के तहत भी जेल जाते हैं। तो तीन तलाक के लिए जेल भेजने का विरोध क्यों? यह प्रावधान लैंगिक समानता के लिए है। ऐसे में सोनिया गांधी, मायावती और ममता बनर्जी विरोध न करें।
1. तीन तलाक का आरोपी पति ट्रायल से पहले जमानत के लिए मजिस्ट्रेट के समक्ष गुहार लगा सकेगा। पत्नी का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट जमानत दे सकेंगे। जमानत तभी दी जाएगी, जब पति बिल के प्रावधानों के अनुसार पत्नी को मुआवजा दे। मुआवजा मजिस्ट्रेट तय करेंगे।
3. तीन तलाक का अपराध कम्पाउंडेबल होगा। कम्पाउंडेबल अपराध के मामलों में दोनों पक्षों में से कोई भी केस वापस लेने को स्वतंत्र रहता है। ऐसे में पति-पत्नी के बीच विवाद का निपटारा करने के लिए मजिस्ट्रेट अपनी शक्तियां प्रयोग कर सकेंगे।
कानून मंत्री ने स्पष्ट किया कि तीन तलाक पर प्रस्तावित कानून गैर जमानती ही रहेगा। लेकिन ट्रायल शुरू होने से पहले भी जमानत के लिए आरोपी मजिस्ट्रेट से गुहार लगा सकेगा। उल्लेखनीय है कि गैर जमानती कानून के तहत पुलिस थाने में ही जमानत नहीं दे सकती है।
2. एफआईआर तभी दर्ज होगी, जब तीन तलाक पीड़ित महिला, उसके रक्तसंबंधी या ससुराल पक्ष के रिश्तेदारों में से कोई पुलिस को शिकायत करे। यह डर खत्म हो जाएगा कि एेसे मामलों में पड़ोसी भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं।