तत्काल तलाक पर अध्यादेश को कैबिनेट की मिली मंजूरी
कानून में किए तीन संशोधन1
केंद्र सरकार को छह महीने में अध्यादेश को संसद से कराना होगा पास
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: एक साथ तीन तलाक विधेयक के संसद से पारित नहीं हो पाने के बाद मुस्लिम महिलाओं को उत्पीड़न से राहत दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया है। इस सिलसिले में कैबिनेट द्वारा लाए गए अध्यादेश पर बुधवार देर रात राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने हस्ताक्षर कर दिया। इसके साथ ही तत्काल तलाक पूरी तरह अपराध हो गया है। 1इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में इस अध्यादेश को मंजूरी दी गई। इसे छह महीने के भीतर संसद से पारित कराना होगा। संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार इसे पास कराने की कोशिश करेगी। कैबिनेट की बैठक के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्यसभा में विधेयक पारित नहीं होने का ठीकरा विपक्ष पर फोड़ते हुए कहा कि मुस्लिम महिलाओं के अधिकार संरक्षण वाले मामले में कांग्रेस वोट की राजनीति कर रही है। विपक्षी दलों को कोसते हुए रविशंकर प्रसाद ने कहा कि दुनिया के 22 मुस्लिम देशों में एक साथ तीन तलाक को अपराध मान लिया गया है। लेकिन, धर्मनिरपेक्ष भारत में यह क्रूर और अमानवीय कुरीति जारी है। महिलाओं के अधिकारों के लिए उन्होंने सोनिया गांधी से वोट की राजनीति से ऊपर उठने की अपील की। उन्होंने महिला नेतृत्व वाले दल बसपा और तृणमूल कांग्रेस से महिलाओं के हित में आगे आकर राज्यसभा में इस कानून को पारित कराने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल तत्काल तलाक पर प्रतिबंध लगाते हुए सरकार से इस मामले में कानून बनाने को कहा था। लेकिन, अदालत के आदेश के बावजूद तत्काल तलाक की प्रथा जारी रही। इसे रोकने के लिए सरकार को इस पर अध्यादेश लाना पड़ा।आरोपित पति मजिस्टेट से मांग सकता है जमानत 1प्रस्तावित कानून में ‘गैर जमानती’ शब्द बना रहेगा, लेकिन आरोपित पति मामले की सुनवाई से पहले मजिस्टेट से जमानत मांग सकता है। हालांकि, पुलिस थाने में जमानत नहीं दी जा सकती है। यह प्रावधान इसलिए जोड़ा गया है, ताकि मजिस्ट्रेट पत्नी का पक्ष सुनने के बाद जमानत दे सके।पीड़िता या करीबी की शिकायत पर ही प्राथमिकी 1एक साथ तीन तलाक की पीड़िता या उसके करीबी की शिकायत पर ही प्राथमिकी दर्ज की जा सकेगी। प्रसाद ने बताया कि पत्नी के किसी नजदीकी संबंधी या शादी के बाद बने रिश्तेदार जिससे खून का रिश्ता होगा, उसे करीबी मानकर पुलिस शिकायत दर्ज कर सकती है।पत्नी की सहमति से विवाद सुलझा सकते हैं मजिस्ट्रेट1मजिस्ट्रेट विवाद को सुलझा सकते हैं, जिसमें पत्नी की सहमति जरूरी होगी। यह संशोधन तीन तलाक के अपराध को ‘समझौते के योग्य’ बनाता है। मजिस्ट्रेट अपनी वैधानिक शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे दोनों पक्षों को मामले को वापस लेने की आजादी मिल जाएगी।इसलिए लाना पड़ा अध्यादेश1’ विधेयक को लोकसभा से आसानी से पारित करा लिया गया। कांग्रेस ने भी इसे स्वीकृति दी थी। 1’ राज्यसभा में कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने कुछ संशोधनों की बात कहकर विधेयक को पारित होने का रास्ता रोक दिया। 1’ इसके चलते तत्काल तलाक के उत्पीड़न को रोकने के लिए केंद्र ने अध्यादेश का रास्ता अपनाया।चिंताओं को दूर करने का प्रयास1केंद्र ने मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक- 2017 में तीन संशोधनों को मंजूरी दी है। इस कदम से उन चिंताओं को दूर करने का प्रयास है, जिसमें तत्काल तलाक को वैध घोषित करने व पति को तीन साल की सजा के कानून के दुरुपयोग की बात उठाई जा रही है। विपक्षी पार्टियों ने इनके बहाने विधेयक राज्यसभा में रोक दिया था