Victim Identification: Supreme Court Strict

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पीड़िता की पहचान उजागर होने से सुप्रीम कोर्ट नाराज

रेवाड़ी दळ्ष्कर्म कांड. सदमे से अब उबरने लगी है पीड़िता. अय्याशी का अड्डा थी कोठरी

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जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली : रेवाड़ी दुष्कर्म कांड की पीड़िता की पहचान उजागर होने पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता की पहचान उजागर होने के मामले में नियमों का उल्लंघन हुआ है। इसका जिम्मेदार कौन है। कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सुनवाई के दौरान रेवाड़ी पीड़िता की पहचान उजागर होने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि लड़की की पढ़ाई-लिखाई के बारे में बताया गया है। रेवाड़ी छोटा सा शहर है। सबको पता चल जाता है। कोर्ट ने कहा कि पीड़िता का नाम लिए बगैर सब कुछ कहा जा रहा है, फिर नाम बताने की जरूरत ही क्या रह गई। मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने टीवी में पीड़ित परिवार के इंटरव्यू पर भी सवाल उठाया। कोर्ट ने कहा कि इसे रोकने के लिए क्या किया जा सकता है। क्या इस बारे में कोई गाइडलाइन है। इस पर कोर्ट में मौजूद अटॉर्नी जनरल ने पीठ से कहा कि नोटिस जारी कर पूछा जाना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। हालांकि कोर्ट ने फिलहाल इस बारे में कोई आदेश नहीं दिया है। इससे पहले मुजफ्फरपुर मामले में न्यायमित्र वकील ने भी रेवाड़ी केस की रिपोर्टिग में असंवेदनशील रवैया अपनाए जाने की बात कही थी।1 मालूम हो कि कानून के मुताबिक, दुष्कर्म पीड़िता की पहचान उजागर करना दंडनीय अपराध है। पहचान उजागर करने के मामले में सिर्फ पीड़ित का नाम न बताने की ही बात शामिल नहीं है बल्कि उसके बारे में ऐसी कोई भी सूचना सार्वजनिक नही होनी चाहिए जिससे पीड़ित की पहचान उजागर हो सकती हो। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की सुनवाई करते हुए पहले ही ऐसे मामलों में पीड़िता के मीडिया इंटरव्यू पर रोक लगा रखी है। इसमें साफ कहा गया है कि ढंका या धुंधला किया गया चेहरा भी नहीं दिखाया जा सकता।

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