सड़क के गड्ढों में गिरने से मौतों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
पिछले साल 3597 लोगों की मौत सड़क में गड्ढों के कारण दुर्घटनाओं से हुई थी, इसे गंभीरता से न लेने पर राज्यों को फटकार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सड़क के गड्ढों के कारण दुर्घटना में होने वाली मौतों पर चिंता जताते हुए इसे गंभीरता से न लेने पर राज्यों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल 3597 लोगों की मौत सड़क के गड्ढों में गिरने से हुई। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि राज्य सरकारें इसे गंभीरता से लेने के बजाए आंकड़ों पर सवाल उठा रही हैं। 1यह टिप्पणी जस्टिस मदन बी. लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने सड़क दुर्घटनाओं के मामले में सुनवाई के दौरान की। कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाएं रोकने के बारे में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को रिपोर्ट दाखिल करने का समय देते हुए मामले की सुनवाई नवंबर के पहले सप्ताह तक के लिए टाल दी। इसके साथ ही पीठ ने कहा कि वह उम्मीद करती है कि राज्य सरकारें इस मसले को गंभीरता से लेंगी और सड़क के गड्ढों के कारण होने वाली मौतों के लिए मुआवजा तय करने पर भी विचार करेंगी। मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश केएस राधाकृष्णन की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने एक कमेटी गठित की थी जो सड़क दुर्घटनाएं रोकने पर विचार करती है और समय-समय पर रिपोर्ट दाखिल कर इसे रोकने के उपाय बताती है। 1मंगलवार को पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि राज्य सरकारें केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राज मार्ग मंत्रलय द्वारा दिए गए आंकड़ों पर सवाल उठा रही हैं, जबकि मंत्रलय को ये आंकड़े उन्हीं ने दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि राज्य कह रहे हैं कि आंकड़ों को राज्यों के परिवहन विभाग से नहीं जांचा गया है। यह कैसी बात है? कोर्ट ने मंगलवार को अपने आदेश में पूर्व सुनवाई के दौरान की गई अपनी उन टिप्पणियों को भी दर्ज किया, जिसमें कहा गया था कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं में आतंकवादी हमलों से ज्यादा लोगों की मौत होती है। स्थिति भयावह है। गत जुलाई में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने आधिकारिक आंकड़ों पर संज्ञान लिया था जिसके मुताबिक, 2017 में 3597 लोगों की मौत गड्ढों के कारण सड़क दुर्घटना में हुई थी, जबकि उस वर्ष आतंकी हमलों में 803 लोगों की मौत हुई थी। तभी कोर्ट ने टिप्पणी की थी। 1कोर्ट ने मंगलवार को इस बात पर भी आश्चर्य जताया कि सड़क दुर्घटनाओं के मामलों पर विचार कर रही कमेटी की बैठक में कुछ राज्यों ने कहा कि उन्हें सड़क की मरम्मत के लिए दिया गया पैसा पर्याप्त नहीं है। पीठ ने कहा कि राज्य ऐसा कैसे कह सकते हैं? जब राज्य सड़क बनाते हैं तो उसे ठीक रखने की जिम्मेदारी किसकी है? यह उन्हीं का दायित्व है। अगर उनके पास सड़क दुरुस्त रखने का पैसा नहीं है तो वे सड़क बनाने के लिए ठेकेदारों को पैसा क्यों देते हैं? राज्य क्या कर रहे हैं? कौन सड़कें दुरुस्त रखेगा, क्या लोग खुद सड़कें दुरुस्त करेंगे? 1मामले में न्यायमित्र वकील गौरव अग्रवाल ने कोर्ट में कहा कि अथारिटीज इन समस्याओं को नहीं देख रहीं हैं और बैठक में सड़क के गड्ढों की मरम्मत को लेकर किसी नीति पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इसके अलावा उन ब्लाइंड स्पाट पर भी विचार होना चाहिए जहां ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैं। सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर पांच लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा दिए जाने पर भी विचार चल रहा है। इस पर पीठ ने सवाल किया कि क्या इसमें गड्ढों से दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर मुआवजे का भी मुद्दा है? अग्रवाल ने कहा कि उस पर विचार होगा। पीठ ने कहा कि कमेटी अच्छा काम कर रही है, लेकिन राज्य इसे गंभीरता से नहीं ले रहे। इसी महीने हुई कमेटी की बैठक में केंद्रीय मंत्रलय के अलावा आठ राज्यों ने हिस्सा लिया। 1जानलेवा सड़कें संपादकीय’ भारत में सड़क दुर्घटनाओं में आतंकवादी हमलों से ज्यादा लोगों की मौत होती है1’ सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों पर पांच लाख रुपये एकमुश्त मुआवजा दिए जाने पर भी चल रहा विचारभयावह