RERA: Insurance by Developer

Housing Indian Law

रेरा में नियम, पर जमीन के मालिकाना हक का बीमा नहीं करा रहे हैं डेवलपर

राज्यों को टाइटल इंश्योरेंस के लिए करना है प्रावधान, पर किसी ने नहीं किया

डेवलपर्स का तर्क, इससे घरों की कीमत 200 रुपए वर्गफुट तक बढ़ जाएगी
एजेंसी | मुंबई
रियल एस्टेट रेगुलेशन एक्ट यानी रेरा में डेवलपर के लिए जमीन के टाइटल (मालिकाना हक) का बीमा कराना जरूरी है। लेकिन अभी तक बहुत कम डेवलपर्स ने यह बीमा कराया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमा से डेवलपर्स पर बोझ तो बढ़ेगा ही, घरों की कीमतें भी 150 से 200 रुपए प्रति वर्ग फुट तक बढ़ जाएंगी। जमीन का मामला राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है। इसलिए केंद्र सरकार द्वारा तैयार रेरा को हर राज्य को अपने यहां नोटिफाई करना है। लेकिन अभी तक किसी भी राज्य ने टाइटल इंश्योरेंस के प्रावधान को नोटिफाई नहीं किया है। हालांकि कुछ दिनों पहले महाराष्ट्र ने कहा है कि वह जल्दी ही इसका नोटिफिकेशन जारी करेगा।
हीरानंदानी ग्रुप के चेयरमैन सुरेंद्र हीरानंदानी के अनुसार सबसे बड़ा सवाल बीमा के खर्च का है। हो सकता है भविष्य में बीमा लेने वालों की संख्या बढ़ने पर प्रीमियम कम हो, लेकिन अभी तो यह काफी खर्चीला है। इसका असर घरों की कीमतों पर भी होगा। डेवलपर भले बाद में यह रकम खरीदारों से लें, लेकिन पहले तो उन्हें ही इसे चुकाना पड़ेगा। इस बात को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि टाइटल इंश्योरेंस में जोखिम का एक हिस्सा ही कवर होता है। सारे जोखिम कवर नहीं होते। लेकिन बीमा कंपनी एचडीएफसी एर्गो के चीफ अंडर राइटिंग ऑफिस अनुराग रस्तोगी का मानना है कि डेवलपर्स को लांग टर्म में इसके फायदों को समझना होगा। इस बीमा से खरीदारों में डेवलपर की विश्वसनीयता बढ़ेगी। डेवलपर्स की बॉडी नारेडको के प्रेसिडेंट निरंजन हीरानंदानी भी मानते हैं कि इससे खरीदार, डेवलपर, बैंक और संस्थागत निवेशक सबके सेंटिमेंट में सुधार होगा।

डेवलपर्स को हर साल 7,000 करोड़ रु. देना होगा प्रीमियम
मालिकाना हक के बीमा से ऐसे बढ़ जाएगी घरों की कीमत
रियल एस्टेट में विशेषज्ञता रखने वाली फाइनेंशियल सर्विसेज कंपनी निसस फाइनेंस के एमडी और सीईओ अमित गोयनका के अनुसार इस सेक्टर में हर साल करीब 3.5 लाख करोड़ रुपए के सौदे होते हैं। बीमा सिर्फ जमीन की कीमत का नहीं, बल्कि प्रोजेक्ट की पूरी डेवलपमेंट वैल्यू का होगा। 2% के हिसाब से भी जोड़ें तो हर साल कंपनियों को 7,000 करोड़ रुपए प्रीमियम देना पड़ेगा। इससे घरों की कीमत 150-200 रुपए प्रति वर्ग फीट बढ़ जाएगी। अफोर्डेबल हाउसिंग के लिहाज से यह बढ़ोतरी काफी ज्यादा है।
फायदे | विवाद में खरीदार को भरपाई हो सकेगी
भविष्य में प्रॉपर्टी के मालिकाना हक को लेकर कोई विवाद हुआ तो खरीदार को भरपाई हो सकती है। रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में निवेश भी सुरक्षित होगा। मुंबई की रियल एस्टेट कंपनी एकता वर्ल्ड के चेयरमैन अशोक मोहनानी के अनुसार प्रॉपर्टी का मालिकाना हक स्पष्ट नहीं होने के कारण विवाद होते रहते हैं। बीमा होने से पारदर्शिता बढ़ेगी।
दूसरे देश | कनाडा और ब्रिटेन में है इसका नियम
भारत के लिए प्रॉपर्टी टाइटल इंश्योरेंस भले नया हो, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन समेत यूरोप के कई देशों में इसका प्रावधान है। भारत में अभी सिर्फ एचडीएफसी एर्गो और न्यू इंडिया एश्योरेंस मालिकाना हक का बीमा करती हैं। हाल ही रहेजा यूनिवर्सल ने एचडीएफसी एर्गो के पास अपने प्रोजेक्ट का टाइटल इंश्योरेंस करवाया है।
रेरा में प्रावधान
डेवलपर देगा प्रीमियम, खरीदार को ट्रांसफर करेगा
टाइटल इंश्योरेंस का प्रावधान रेरा एक्ट के सेक्शन 16 में किया गया है। इसके मुताबिक डेवलपर को जमीन और बिल्डिंग के मालिकाना हक का बीमा कराना पड़ेगा।
डेवलपर को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट के कंस्ट्रक्शन का भी बीमा लेना होगा। इसका प्रीमियम डेवलपर देगा।
डेवलपर को एलॉटी यानी खरीदार को बीमा ट्रांसफर करने से पहले प्रीमियम का भुगतान करना होगा।
खरीदार और डेवलपर के बीच सेल एग्रीमेंट के साथ ही बीमा खरीदार को ट्रांसफर होगा। डेवलपर खरीदार को बीमा के कागजात भी सौंपेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *