नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। उच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि ‘अदालत किसी धर्म का प्रचार करने का मंच नहीं है।’ न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए वकीलों से अदालत में किसी भी धर्म का नाम लेने से परहेज करने को कहा है।
उच्च न्यायालय ने माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर द्वारा कई लोगों के हैंडल बंद करने, निलंबित करने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की है। जस्टिस यशवंत वर्मा ने कहा कि ‘हम एक बात स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि अदालत किसी धर्म के प्रचार के लिए नहीं है, बल्कि यह सिर्फ कानूनी तरीके से निपटने के लिए है’। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब एक याचिकाकर्ता के वकील ने बहस की शुरुआत में ही ‘हिंदू’ धर्म का उल्लेख किया।
न्यायालय ने इसके साथ ही सभी पक्षों के वकीलों से अपनी दलीलें पूरी करने और लिखित दलील दाखिल करने का आदेश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल तय कर दी।
ट्विटर खाताधारक वोकफ्लिक्स ने न्यायालय में ट्विटर पर खुले रूप से दोहरे मानदंड अपनाने और हिंदू भावनाओं को कुचलने की अनुमति देने का आरोप लगाया। अभद्र भाषा को बढ़ावा देने के आरोप में ट्विटर ने वोकफ्लिक्स के खाते को पहले निलंबित किया और बाद में बंद कर दिया था। लिखित दलील पेश करते हुए वोकफ्लिक्स ने आरोप लगाया कि ट्विटर औरंगजेब जैसे नरसंहार अत्याचारियों के सामान्यीकरण में सहायता कर रही और उकसा रही थी। उन्होंने ट्विटर पर भेदभाव की नीति अपनाने का आरोप लगाया।